#Labour_Day ये जो सड़कों पर मजदूर जा रहे हैं, पैदल

"#Labour_Day ये जो सड़कों पर मजदूर जा रहे हैं, पैदल पैदल कितनी दूर जा रहे हैं । जिनके खून पसीने से सड़क बन पाई, जिनके हिस्से में बस पगडंडी आई । इनके पल्लू में बंधे जो चार आने हैं, दरअसल वो शहर हैं,कारखाने हैं । गोल पोटली जो सिर पे उठाई है, वो ही तो धरती माई है। फिर हम इनकी बात क्यों नहीं करते? इनके दर्द दिल में क्यों नहीं उतरते?? पेट पिचका जरूर है, पर इन्हे हमारे जितनी भूख नहीं है.. ओह!! अब समझा.. हम नहीं सुनते क्यूंकि इनके पास रसूख नहीं है ।। -YSGORIGINAL"

 #Labour_Day ये जो सड़कों पर मजदूर जा रहे हैं,
पैदल पैदल कितनी दूर जा रहे हैं ।
जिनके खून पसीने से सड़क बन पाई,
जिनके हिस्से में बस पगडंडी आई ।
इनके पल्लू में बंधे जो चार आने हैं,
दरअसल वो शहर हैं,कारखाने हैं ।
गोल पोटली जो सिर पे उठाई है,
वो ही तो धरती माई है। 
फिर हम इनकी बात क्यों नहीं करते?
इनके दर्द दिल में क्यों नहीं उतरते??
पेट पिचका जरूर है,
पर इन्हे हमारे जितनी भूख नहीं है..
ओह!! 
अब समझा..
हम नहीं सुनते क्यूंकि
इनके पास रसूख नहीं है ।।

      -YSGORIGINAL

#Labour_Day ये जो सड़कों पर मजदूर जा रहे हैं, पैदल पैदल कितनी दूर जा रहे हैं । जिनके खून पसीने से सड़क बन पाई, जिनके हिस्से में बस पगडंडी आई । इनके पल्लू में बंधे जो चार आने हैं, दरअसल वो शहर हैं,कारखाने हैं । गोल पोटली जो सिर पे उठाई है, वो ही तो धरती माई है। फिर हम इनकी बात क्यों नहीं करते? इनके दर्द दिल में क्यों नहीं उतरते?? पेट पिचका जरूर है, पर इन्हे हमारे जितनी भूख नहीं है.. ओह!! अब समझा.. हम नहीं सुनते क्यूंकि इनके पास रसूख नहीं है ।। -YSGORIGINAL

#YSGORIGINAL

People who shared love close

More like this

Trending Topic