कभी अपनों से था हारा, कभी बेगानों से हारा । कभी उस

"कभी अपनों से था हारा, कभी बेगानों से हारा । कभी उस भीड़ ने मारा, कभी तन्हाई ने मारा ।। रहा ज़िंदा यहां मैं जो, थी जबतक मर्ज़ी जो उसकी । बड़ा ही ख़ूबसूरत ज़िन्दगी का खेल है सारा ।। P.K.Shayar"

 कभी अपनों से था हारा, कभी बेगानों से हारा ।
कभी उस भीड़ ने मारा, कभी तन्हाई ने मारा ।।
रहा ज़िंदा यहां मैं जो, थी जबतक मर्ज़ी जो उसकी ।
बड़ा ही ख़ूबसूरत ज़िन्दगी का खेल है सारा ।।

P.K.Shayar

कभी अपनों से था हारा, कभी बेगानों से हारा । कभी उस भीड़ ने मारा, कभी तन्हाई ने मारा ।। रहा ज़िंदा यहां मैं जो, थी जबतक मर्ज़ी जो उसकी । बड़ा ही ख़ूबसूरत ज़िन्दगी का खेल है सारा ।। P.K.Shayar

#SushantSinghRajput #Nojoto #PkShayar

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