शहीदें आजम भगत सिंह जी की जयंती पर मेरे श्रद्धा सु | हिंदी कविता

"शहीदें आजम भगत सिंह जी की जयंती पर मेरे श्रद्धा सुमन के कुछ शब्द: उम्र मात्र ही तेईस की थी और वो देश धर्म पर फूल गया आजादी का वो दीवाना इश्क मोहब्बत भूल गया मिले आजादी भारत मां को बस ऐसी उसकी मंशा थी और हमारी आजादी के लिए हमारा भगत सिंह फांसी पर झूल गया!! अगर चाहता तो वो भी सिगार पी सकता था अंग्रेजो की महफिल में वो भी शराब पी सकता था लेकिन हमको जगाने को अपना बलिदान दिया उसने चाहता तो पीकर बकरी का दूध वो अनशन भी कर सकता था!! लेकिन वो तो मतवाला था, भारत मां का रखवाला आजादी का दीवाना था वो सारे जग से बेगाना था प्राण निछावर करके उसने हमको आजादी दे डाली ऐसा मेरा भगत सिंह निराला था!! कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज) ©Indresh Dwivedi"

 शहीदें आजम भगत सिंह जी की जयंती पर मेरे श्रद्धा सुमन के कुछ शब्द:

उम्र मात्र ही तेईस की थी और वो देश धर्म पर फूल गया
आजादी का वो दीवाना इश्क मोहब्बत भूल गया
मिले आजादी भारत मां को बस ऐसी उसकी मंशा थी
और हमारी आजादी के लिए हमारा भगत सिंह फांसी पर झूल गया!!

अगर चाहता तो वो भी सिगार पी सकता था
अंग्रेजो की महफिल में वो भी शराब पी सकता था
लेकिन हमको जगाने को अपना बलिदान दिया उसने
चाहता तो पीकर बकरी का दूध वो अनशन भी कर सकता था!!

लेकिन वो तो मतवाला था, भारत मां का रखवाला
आजादी का दीवाना था वो सारे जग से बेगाना था
प्राण निछावर करके उसने हमको आजादी दे डाली
ऐसा मेरा भगत सिंह निराला था!!


कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

©Indresh Dwivedi

शहीदें आजम भगत सिंह जी की जयंती पर मेरे श्रद्धा सुमन के कुछ शब्द: उम्र मात्र ही तेईस की थी और वो देश धर्म पर फूल गया आजादी का वो दीवाना इश्क मोहब्बत भूल गया मिले आजादी भारत मां को बस ऐसी उसकी मंशा थी और हमारी आजादी के लिए हमारा भगत सिंह फांसी पर झूल गया!! अगर चाहता तो वो भी सिगार पी सकता था अंग्रेजो की महफिल में वो भी शराब पी सकता था लेकिन हमको जगाने को अपना बलिदान दिया उसने चाहता तो पीकर बकरी का दूध वो अनशन भी कर सकता था!! लेकिन वो तो मतवाला था, भारत मां का रखवाला आजादी का दीवाना था वो सारे जग से बेगाना था प्राण निछावर करके उसने हमको आजादी दे डाली ऐसा मेरा भगत सिंह निराला था!! कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज) ©Indresh Dwivedi

#शहीद_भगत_सिंह #जन्म_जयंती

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