Indresh Dwivedi

Indresh Dwivedi

मेरा परिचय मेरे शब्दों में यूं तो अक्सर ही मैं बस प्रेम गुनगुनाता हूं कभी कभी सामाजिक मुद्दे भी उठता हूं आवाज को अपनी मैं अपना हथियार बनाता हूं और गुस्से को अपने मैं अपनी कविता में गाता हूं!!

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White काश कि कभी ऐसा हो पाता मैं खुलकर उसके सामने रो पाता दर्द अपना मैं उसको सुना पाता सीने में लगी तस्वीर उसकी उसे दिखा पाता हाल दिल का अपने उसे बता पाता, उसको गले से लगा पाता, प्यार में उसके मैं खो जाता, ग़म सारे अपने भुला पाता, कुछ ग़ज़लें भी उसको सुना पाता, काश कि कभी ऐसा भी हो पाता! देखकर वो मुझे मुस्कुरा देती, दर्द की मेरे मुझको दवा देती, अपनी बाहों में मुझको समा लेती, सर को प्यार से मेरे सहला देती, दिल अपना भी खोल कर दिखा देती, जख्म पे मेरे मरहम लगा देती, एक कप चाय वो मुझको पिला देती, काश के ये भी कभी हो पाता, उसको सामने मैं खुलकर रो पाता! कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज) ©Indresh Dwivedi

#एक_ख्वाब #कविता  White काश कि कभी ऐसा हो पाता 
मैं खुलकर उसके सामने रो पाता
दर्द अपना मैं उसको सुना पाता 
सीने में लगी तस्वीर उसकी उसे दिखा पाता 
हाल दिल का अपने उसे बता पाता, उसको गले से लगा पाता, प्यार में उसके मैं खो जाता, ग़म सारे अपने भुला पाता, कुछ ग़ज़लें भी उसको सुना पाता, काश कि कभी ऐसा भी हो पाता!

देखकर वो मुझे मुस्कुरा देती, दर्द की मेरे मुझको दवा देती, अपनी बाहों में मुझको समा लेती, सर को प्यार से मेरे सहला देती, दिल अपना भी खोल कर दिखा देती, जख्म पे मेरे मरहम लगा देती, एक कप चाय वो मुझको पिला देती, काश के ये भी कभी हो पाता, उसको सामने मैं खुलकर रो पाता!



कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

©Indresh Dwivedi

White बड़ा ही फर्क है तेरे और मेरे मिजाज में तुझे भीड़ पसंद है और मुझे तन्हाई, तुझे दिखावा और मुझे सच्चाई, तुझे सिर्फ बोलना और मुझे सुनना, तो, तू खुश रह अपने इस झूठे जहान में और मैं तो हूं एक आवारा बादल जो हमेशा उड़ता रहेगा आसमान में!! तुझे पसंद हो बेशक भीड़ और लोगो में मशगूल हो जाना पर मुझे ये सब बेमानी सी लगती है और चार दिन पहले तो लगा था कि तू अपनी है मेरी आज ना जाने क्यों तू बेगानी सी लगती है तेरी बातें, तेरी हसीं तेरे नखरे सब अब फरेबी से लगने लगे है तू साथ होकर भी अब अनजानी सी लगती है!! कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज) ©Indresh Dwivedi

#कविता #love_shayari  White बड़ा ही फर्क है तेरे और मेरे मिजाज में
तुझे भीड़ पसंद है और मुझे तन्हाई, तुझे दिखावा और मुझे सच्चाई, तुझे सिर्फ बोलना और मुझे सुनना, तो, तू खुश रह अपने इस झूठे जहान में
और मैं तो हूं एक आवारा बादल जो हमेशा उड़ता रहेगा आसमान में!!

तुझे पसंद हो बेशक भीड़ और लोगो में मशगूल हो जाना पर मुझे ये सब बेमानी सी लगती है
और चार दिन पहले तो लगा था कि तू अपनी है मेरी आज ना जाने क्यों तू बेगानी सी लगती है
तेरी बातें, तेरी हसीं तेरे नखरे सब अब फरेबी से लगने लगे है
तू साथ होकर भी अब अनजानी सी लगती है!!



कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

©Indresh Dwivedi

#love_shayari

16 Love

शहीदें आजम भगत सिंह जी की जयंती पर मेरे श्रद्धा सुमन के कुछ शब्द: उम्र मात्र ही तेईस की थी और वो देश धर्म पर फूल गया आजादी का वो दीवाना इश्क मोहब्बत भूल गया मिले आजादी भारत मां को बस ऐसी उसकी मंशा थी और हमारी आजादी के लिए हमारा भगत सिंह फांसी पर झूल गया!! अगर चाहता तो वो भी सिगार पी सकता था अंग्रेजो की महफिल में वो भी शराब पी सकता था लेकिन हमको जगाने को अपना बलिदान दिया उसने चाहता तो पीकर बकरी का दूध वो अनशन भी कर सकता था!! लेकिन वो तो मतवाला था, भारत मां का रखवाला आजादी का दीवाना था वो सारे जग से बेगाना था प्राण निछावर करके उसने हमको आजादी दे डाली ऐसा मेरा भगत सिंह निराला था!! कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज) ©Indresh Dwivedi

#शहीद_भगत_सिंह #जन्म_जयंती #कविता  शहीदें आजम भगत सिंह जी की जयंती पर मेरे श्रद्धा सुमन के कुछ शब्द:

उम्र मात्र ही तेईस की थी और वो देश धर्म पर फूल गया
आजादी का वो दीवाना इश्क मोहब्बत भूल गया
मिले आजादी भारत मां को बस ऐसी उसकी मंशा थी
और हमारी आजादी के लिए हमारा भगत सिंह फांसी पर झूल गया!!

अगर चाहता तो वो भी सिगार पी सकता था
अंग्रेजो की महफिल में वो भी शराब पी सकता था
लेकिन हमको जगाने को अपना बलिदान दिया उसने
चाहता तो पीकर बकरी का दूध वो अनशन भी कर सकता था!!

लेकिन वो तो मतवाला था, भारत मां का रखवाला
आजादी का दीवाना था वो सारे जग से बेगाना था
प्राण निछावर करके उसने हमको आजादी दे डाली
ऐसा मेरा भगत सिंह निराला था!!


कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

©Indresh Dwivedi

White अहिंसा परमो धर्मस्त्थाहिंसा परो दमः | अहिंसा परमं दानम् अहिंसा परम तपः || अहिंसा परमो यज्ञस ततस्मि परम फलम् | अहिंसा परमं मित्रम अहिंसा परमं सुखम् || यह श्लोक महाभारत, अनुशासन पर्व, अध्याय 117 – दानधर्मपर्व में लिखा गया है। इसका अर्थ इस प्रकार हैः- इसका अर्थ है की अहिंसा ही सर्वश्रेष्ठ धर्म है | वही उत्तम इन्द्रिय निग्रह है | अहिंसा ही सर्वश्रेष्ठ दान है , वही उत्तम तप है | अहिंसा ही सर्वश्रेष्ठ यज्ञ है और वही परमोपलब्धि है | अहिंसा ही परममित्र है , और वही परम सुख है | लेकिन जब धर्म की रक्षा की बात आती है तब एक और श्लोक भी कहा गया है "अहिंसा परमो धर्मः, धर्म हिंसा तदैव च l" अर्थात - अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है.. किन्तु धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उससे भी श्रेष्ठ है. साथ ही अहिंसा सर्वश्रेष्ठ यज्ञ तभी होता है जब उसमे अवश्यकतानुसार हिंसा रूपी हव्य डाला जाये......तभी वह परमोपलब्धि पूरक है। ©Indresh Dwivedi

#कोट्स #Krishna  White अहिंसा परमो धर्मस्त्थाहिंसा परो दमः |
अहिंसा परमं दानम् अहिंसा परम तपः ||
अहिंसा परमो यज्ञस ततस्मि परम फलम् |
अहिंसा परमं मित्रम अहिंसा परमं सुखम् ||

यह श्लोक महाभारत, अनुशासन पर्व, अध्याय 117 – दानधर्मपर्व में लिखा गया है। इसका अर्थ इस प्रकार हैः-

इसका अर्थ है की अहिंसा ही सर्वश्रेष्ठ धर्म है | वही उत्तम इन्द्रिय निग्रह है | अहिंसा ही सर्वश्रेष्ठ दान है , वही उत्तम तप है | अहिंसा ही सर्वश्रेष्ठ यज्ञ है और वही परमोपलब्धि है | अहिंसा ही परममित्र है , और वही परम सुख है |

लेकिन जब धर्म की रक्षा की बात आती है तब एक और श्लोक भी कहा गया है

"अहिंसा परमो धर्मः, धर्म हिंसा तदैव च l" 

अर्थात - अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है.. किन्तु धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उससे भी श्रेष्ठ है.

साथ ही अहिंसा सर्वश्रेष्ठ यज्ञ तभी होता है जब उसमे अवश्यकतानुसार हिंसा रूपी हव्य डाला जाये......तभी वह परमोपलब्धि पूरक है।

©Indresh Dwivedi

#Krishna

12 Love

शीर्षक : दिल और जज़्बात कुछ दिन पहले ही आयी थी दिल में मेरे एक बात कैसे उसको मैं सुनाऊँ अपने दिल के जज़्बात दिल ये डरता बहुत है कुछ भी से खोने से अब बस यही सोचने में बीत गयी पूरी रात !! रात बीति तो फिर नव सवेरा हुआ एहसास हल्का जो था आज गहरा हुआ चित ये खोया मेरा है फिर वर्षों के बाद साँस थम सी गयी है दिल ये ठहरा हुआ !! ठहरे दिल में उठा है फिर से बवंडर कोई दिल ये पहले तो था जैसे खंडहर कोई उसकी सूरत तो है मेरे दिल में बसी कैसे उसको बताऊँ बता दो कोई!! बात दिल की उसे है बतानी मुझे कहानी प्रेम की अपने है सुनानी मुझे हाल उसके भी है मेरे जैसे ही या बात दिल की हाँ उसके जाननी है मुझे !! ग़र जो दोनो के दिल के ये जज़्बात हो दिल में दोनो के ही एक ही बात हो तो कोई ऐसा करम मुझपे करना हे श्याम साथ उसके ही अब मेरे जीवन की हर एक रात हो!! कवि : इंद्रेश द्विवेदी (पंकज) दिल्ली ©Indresh Dwivedi

#मेरी_कलम_से✍️ #कविता  शीर्षक : दिल और जज़्बात

कुछ दिन पहले ही आयी थी दिल में मेरे एक बात 
कैसे उसको मैं सुनाऊँ अपने दिल के जज़्बात
दिल ये डरता बहुत है कुछ भी से खोने से अब 
बस यही सोचने में  बीत गयी पूरी रात !!

रात बीति तो फिर नव सवेरा हुआ 
एहसास हल्का जो था आज गहरा हुआ 
चित ये खोया मेरा है फिर वर्षों के बाद 
साँस थम सी गयी है दिल ये ठहरा हुआ !!

ठहरे दिल में उठा है फिर से बवंडर कोई 
दिल ये पहले तो था जैसे खंडहर कोई 
उसकी सूरत तो है मेरे दिल में बसी
कैसे उसको बताऊँ बता दो कोई!!

बात दिल की उसे है बतानी मुझे 
कहानी प्रेम की अपने है सुनानी मुझे 
हाल उसके भी है मेरे जैसे ही या 
बात दिल की हाँ उसके जाननी है मुझे !!

ग़र जो दोनो के दिल के ये जज़्बात हो 
दिल में दोनो के ही एक ही बात हो
तो कोई ऐसा करम मुझपे करना हे श्याम 
साथ उसके ही अब मेरे जीवन की हर एक रात हो!!


कवि : इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)
दिल्ली

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White एक जिद है तुझे पाने की, तेरे ख्यालों में खो जाने की, तेरी आंखों में डूब जाने की, तेरे साथ लड़ने की, फिर तुझे मनाने की, अपना तुझे बनाने की, तेरे साथ जिंदगी बिताने की, हां एक जिद है मेरी तुझे पाने की! तेरे आगोश में सो जाने की, तुझे सीने से लगाने की, तेरी बातें सुनने की और अपनी सुनाने की, तेरी नींदें चुराने की, तेरे दिल में समाने की, तुझे थोड़ा सताने की और तेरे साथ दुनिया बसाने की, हां एक जिद है मेरी तुझे पाने की!! तुझे मंगलसूत्र पहनाने की, तेरे हाथ में मेरे नाम का कंगन हो और पांव में पायल बांधने की, तुझे चूड़ियां दिलाने की, तेरी मांग सजाने की और तुझे अपनी दुल्हनियां बनाने की, हां एक जिद है मेरी तुझे पाने की!! कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज) ©Indresh Dwivedi

#कविता #love_qoutes  White एक जिद है तुझे पाने की, तेरे ख्यालों में खो जाने की, तेरी आंखों में डूब जाने की, तेरे साथ लड़ने की, फिर तुझे मनाने की, अपना तुझे बनाने की, तेरे साथ जिंदगी बिताने की, हां एक जिद है मेरी तुझे पाने की!

तेरे आगोश में सो जाने की, तुझे सीने से लगाने की, तेरी बातें सुनने की और अपनी सुनाने की, तेरी नींदें चुराने की, तेरे दिल में समाने की, तुझे थोड़ा सताने की और तेरे साथ दुनिया बसाने की, हां एक जिद है मेरी तुझे पाने की!!

तुझे मंगलसूत्र पहनाने की, तेरे हाथ में मेरे नाम का कंगन हो और पांव में पायल बांधने की, तुझे चूड़ियां दिलाने की, तेरी मांग सजाने की और तुझे अपनी दुल्हनियां बनाने की, हां एक जिद है मेरी तुझे पाने की!!



कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

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#love_qoutes प्यार पर कविता

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