शीर्षक : दिल और जज़्बात
कुछ दिन पहले ही आयी थी दिल में मेरे एक बात
कैसे उसको मैं सुनाऊँ अपने दिल के जज़्बात
दिल ये डरता बहुत है कुछ भी से खोने से अब
बस यही सोचने में बीत गयी पूरी रात !!
रात बीति तो फिर नव सवेरा हुआ
एहसास हल्का जो था आज गहरा हुआ
चित ये खोया मेरा है फिर वर्षों के बाद
साँस थम सी गयी है दिल ये ठहरा हुआ !!
ठहरे दिल में उठा है फिर से बवंडर कोई
दिल ये पहले तो था जैसे खंडहर कोई
उसकी सूरत तो है मेरे दिल में बसी
कैसे उसको बताऊँ बता दो कोई!!
बात दिल की उसे है बतानी मुझे
कहानी प्रेम की अपने है सुनानी मुझे
हाल उसके भी है मेरे जैसे ही या
बात दिल की हाँ उसके जाननी है मुझे !!
ग़र जो दोनो के दिल के ये जज़्बात हो
दिल में दोनो के ही एक ही बात हो
तो कोई ऐसा करम मुझपे करना हे श्याम
साथ उसके ही अब मेरे जीवन की हर एक रात हो!!
कवि : इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)
दिल्ली
©Indresh Dwivedi
#मेरी_कलम_से✍️