मक्कारों के मलाल मेल-जोल में ज़हर मिला देते हैं | हिंदी शायरी

"मक्कारों के मलाल मेल-जोल में ज़हर मिला देते हैं बेहद चालाकियों से जहाज किनारों पर ही डुबा देते हैं अपने ही एक हाथ की खबर दूसरे को नहीं होने देते हैं जीते जागते ऐसे ही तिस्लमी हमने रूबरू किरदार देखें है मोहजाल में उलझे खुद पर खंजर चलाते मोहताज देखें है दूसरा घर बसाने वालों के ना खत्म होने वाले इंतजार देखें है बबली गुर्जर ©Babli Gurjar"

 मक्कारों के मलाल  मेल-जोल में ज़हर मिला देते हैं 
बेहद चालाकियों से जहाज किनारों पर ही डुबा देते हैं 

अपने ही एक हाथ की खबर दूसरे को नहीं होने देते हैं 
जीते जागते ऐसे ही तिस्लमी हमने रूबरू किरदार देखें है 

मोहजाल में उलझे खुद पर खंजर चलाते मोहताज देखें है 
दूसरा घर बसाने वालों के ना खत्म होने वाले इंतजार देखें है 
बबली गुर्जर

©Babli Gurjar

मक्कारों के मलाल मेल-जोल में ज़हर मिला देते हैं बेहद चालाकियों से जहाज किनारों पर ही डुबा देते हैं अपने ही एक हाथ की खबर दूसरे को नहीं होने देते हैं जीते जागते ऐसे ही तिस्लमी हमने रूबरू किरदार देखें है मोहजाल में उलझे खुद पर खंजर चलाते मोहताज देखें है दूसरा घर बसाने वालों के ना खत्म होने वाले इंतजार देखें है बबली गुर्जर ©Babli Gurjar

जाल@Ravi Ranjan Kumar Kausik @R... Ojha भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन @Rrrrr @Lalit Saxena @Anshu writer

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