पेड़ बचाओ, जीवन सजाओ
बातें लगती हैं सबको मूर्खतापूर्ण
सबको लगती है अवगुण
देखो दुनिया जैसे दुनियाँ तुम्हे देखती है
क्या तुम्हारे अंदर हृदय नहीं है, क्या तुम में जीव नही हैं
क्या लगता है तुमको कि नीति का लिखा तुम बदल पाओगे,
क्या मूकबधिर हो तुम सब , कि जो हो रहा दुनिया मे उससे सीख पाओगे
अरे ये पेड़ है ,चरित्र हैं, चरितार्थ हैं हम सब के
व्यर्थ नही है इनको बचाना
मित्र बनों ,सिमट जाओ लिपट जाओ
©rahul verma
पेड़ - एक जीवन