मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला!
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला!!
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घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे!
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला!!
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तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था
फिर इसके बाद मुझे कोई अजनबी न मिला
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बहुत अजीब है ये क़ुरबतों की दूरी भी!
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला!!
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ख़ुदा की इतनी बड़ी क़ायनात में मैंने!
बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला!!
-बशीर बद्र-
©Vidya Bhushan Mishra
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