मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला! अगर गल | हिंदी शायरी

"मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला! अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला!! --- घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे! बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला!! --- तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था फिर इसके बाद मुझे कोई अजनबी न मिला --- बहुत अजीब है ये क़ुरबतों की दूरी भी! वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला!! --- ख़ुदा की इतनी बड़ी क़ायनात में मैंने! बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला!! -बशीर बद्र- ©Vidya Bhushan Mishra"

 मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला!
     अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला!!
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घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे!
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला!!
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तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था
फिर इसके बाद मुझे कोई अजनबी न मिला
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बहुत अजीब है ये क़ुरबतों की दूरी भी!
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला!!
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ख़ुदा की इतनी बड़ी क़ायनात में मैंने!
बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला!!
-बशीर बद्र-

©Vidya Bhushan Mishra

मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला! अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला!! --- घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे! बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला!! --- तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था फिर इसके बाद मुझे कोई अजनबी न मिला --- बहुत अजीब है ये क़ुरबतों की दूरी भी! वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला!! --- ख़ुदा की इतनी बड़ी क़ायनात में मैंने! बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला!! -बशीर बद्र- ©Vidya Bhushan Mishra

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