Vidya Bhushan Mishra

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हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मालूम! कि तू नहीं था तेरे साथ एक दुनिया थी!! -फ़राज़- ©Vidya Bhushan Mishra

#शायरी #AloneInCity  हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मालूम!
कि तू नहीं था तेरे साथ एक दुनिया थी!!
-फ़राज़-

©Vidya Bhushan Mishra

उनकी ज़िद है मुझे भुलाने की! ये मेरी ज़िद है, याद आऊँगा!! -भूषण- ©Vidya Bhushan Mishra

#शायरी #Hope  उनकी ज़िद है मुझे भुलाने की!
ये मेरी ज़िद है, याद आऊँगा!!
-भूषण-

©Vidya Bhushan Mishra

#Hope

5 Love

🌹शुभ जन्मदिनं तुभ्यम्🌹 ©Vidya Bhushan Mishra

#NojotoRamleela #समाज  🌹शुभ जन्मदिनं तुभ्यम्🌹

©Vidya Bhushan Mishra

🌹गीत🌹 नाम वही है मगर समय ने बदल दिया जीवन-धारा‌! जीवन-दशा हुई परिवर्तित,रंग-ढंग बिल्कुल न्यारा!! लेकर लाठी निज हाथों में गिरते पड़ते चलता हूॅं! बच्चों के सॅंग रहा शोर में,अब एकाकी रहता हूॅं! रातों में थे गीत लिखे तब, अब गिनता रहता तारा! जीवन-दशा हुई परिवर्तित,रंग-ढंग बिल्कुल न्यारा!१! केवल साॅंसें ही साथी हैं, धड़कन बनी सहारा है! इधर मृत्यु, उस पार ज़िंदगी, जीवन एक दुधारा है! बंद- बंद अपना ही कमरा लगता हो जैसे कारा! जीवन-दशा हुई परिवर्तित,रंग-ढंग बिल्कुल न्यारा!२! ©Vidya Bhushan Mishra

#कविता #AwayFromFamily  🌹गीत🌹
नाम वही है मगर समय ने बदल दिया जीवन-धारा‌!
जीवन-दशा हुई परिवर्तित,रंग-ढंग  बिल्कुल न्यारा!!

लेकर लाठी निज हाथों में गिरते पड़ते चलता हूॅं!
बच्चों के सॅंग रहा शोर में,अब एकाकी रहता हूॅं!
रातों में थे गीत लिखे तब, अब गिनता रहता तारा!
जीवन-दशा हुई परिवर्तित,रंग-ढंग  बिल्कुल न्यारा!१!

केवल साॅंसें ही साथी हैं, धड़कन बनी सहारा है!
इधर मृत्यु, उस पार ज़िंदगी, जीवन एक दुधारा है!
बंद- बंद अपना ही कमरा लगता हो जैसे कारा!
जीवन-दशा हुई परिवर्तित,रंग-ढंग  बिल्कुल न्यारा!२!

©Vidya Bhushan Mishra

❤️छठ-पूजन❤️ देश, धर्म, परिवार की, रक्षा करें दिनेश! छठ माता आशीष दें, मिटें भक्त के क्लेश!! -भूषण- ©Vidya Bhushan Mishra

#कविता #chhathpuja  ❤️छठ-पूजन❤️

देश, धर्म, परिवार की, रक्षा करें दिनेश!
छठ माता आशीष दें, मिटें भक्त के क्लेश!!
-भूषण-

©Vidya Bhushan Mishra

#chhathpuja

10 Love

मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला! अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला!! --- घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे! बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला!! --- तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था फिर इसके बाद मुझे कोई अजनबी न मिला --- बहुत अजीब है ये क़ुरबतों की दूरी भी! वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला!! --- ख़ुदा की इतनी बड़ी क़ायनात में मैंने! बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला!! -बशीर बद्र- ©Vidya Bhushan Mishra

#शायरी #WritingForYou  मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला!
     अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला!!
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घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे!
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला!!
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तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था
फिर इसके बाद मुझे कोई अजनबी न मिला
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बहुत अजीब है ये क़ुरबतों की दूरी भी!
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला!!
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ख़ुदा की इतनी बड़ी क़ायनात में मैंने!
बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला!!
-बशीर बद्र-

©Vidya Bhushan Mishra
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