जन्म स्थल तो नहीं है,
पर अब वो मेरा घर है,
जहाँ मैं बसता हूँ,
मेरा सुकून है वहाँ,
वहाँ मैं खिलखिला कर हँसता हूँ,
वो गंगा की लहर , और वो शाम का पहर ,
ठिकाना है मेरा, वो बनारस शहर,
पग - पग की दूरी मे जहाँ घाट ही घाट हैं,
ये ऐसी है नगरी जिसके अलग ही ठाठ हैं,
यूहीं नहीं मैं खुल कर जीता हूँ,
यारों मै काशी का पानी पीता हूँ....
©Sarah Moses
#adventure