!!विचार कर्णिका!!
किसी ने सही ही कहा है, कोई कितना अपना हो लेकिन पहले वो अपना देखते है,
यह बात मुझे समय के साथ सिद्ध होती दिख रही है, खैर जब मार्ग पर चल पड़े है,
तो फिर लक्ष्य को छोड़ कैसे सकते है, अपने अमित सामर्थ्य को कैसे निराश कर सकते है, क्योंकि वो पूर्ण सामर्थ्यशील है, और तय लक्ष्य को तो हमें ही पूरा करना है, बाकी तो तमाशबीन का झुंड है जहां पलड़ा भरी बस चल देगा, और थोड़ा परिश्रम सही क्योंकि स्वप्न हमारा है ना अपने लिए सबके लिए और देश के लिए... 🙂
बाकी तो don't worry bol hari
योगेश कुमार मिश्र"योगी"
©Yogesh Kumar Mishra"yogi
#Thinking