कशमकश की दीवार पर मैं,
ख्वाब मेरे कुरेदती हूं क्या सही ?क्या गलत ?
की पहेली को अब मैं पीछे ही छोड़ती हूं,
मन कहीं ओर भागे , सपने कहीं ओर!
चलो छोड़ो इन सब बातों को,
ख्वाहिशों की पतंग बनाकर,
मैं अपनी जिंदगी की डोर बड़े प्यार से खींचती हूं।।
-तन्वी
#Freedom