हर पहर में हैं मेरे आदि योगी
जन जन में जिये आदि योगी
कण कण में बसे आदि योगी
पल पल में हैं बस आदि योगी
श्वांस में शुरू आदि योगी
भस्म भी कहे आदि योगी
अनंत का भी है आदि अंत
पर वो अनंत हैं आदि योगी
डमरू बजे है आये आदि योगी
गंगा कल कल करे आदि योगी
तुझसे ही संभव सब आदि योगी
असंभव ही नहीं कुछ आदि योगी
यक्ष स्वरूपा हैं आदि योगी
चंद्रशेखर भी है आदि योगी
गौरापति हैं मेरे आदि योगी
सत-सत है नमन तुझे हे आदि योगी
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