White मुझे एक लंबा अरसा हो गया इस फितूर को समझने | हिंदी कविता

"White मुझे एक लंबा अरसा हो गया इस फितूर को समझने में की रात को जब खूब अंधेरा होता है तो जमीझ के खुशबूदार फूलों पर परियां नाचती है पर सचमुच मैने आज तक कभी भी जमीझ के फूलों को नही देखा लेकिन सोचो कितना ,मुहब्बत–परस्त दिलफेंक–खयाली इंसान होगा वो जिसने जमीझ जैसे दरख़्त के फ़ूल के साथ परियों का तसव्वुर किया ये यकीनन उसके जज्बात–ए–मुहब्बत की इंतहा रही होगी ©Sultan Mohit Bajpai"

 White  मुझे एक लंबा अरसा हो गया
इस फितूर को समझने में की
रात को जब खूब अंधेरा होता है
तो जमीझ के खुशबूदार फूलों पर
परियां नाचती है
पर सचमुच मैने आज तक
कभी भी जमीझ के फूलों को नही देखा
लेकिन सोचो कितना ,मुहब्बत–परस्त
दिलफेंक–खयाली इंसान होगा वो
जिसने जमीझ जैसे दरख़्त के
फ़ूल के साथ परियों का तसव्वुर किया
ये यकीनन उसके जज्बात–ए–मुहब्बत
की इंतहा रही होगी

©Sultan Mohit Bajpai

White मुझे एक लंबा अरसा हो गया इस फितूर को समझने में की रात को जब खूब अंधेरा होता है तो जमीझ के खुशबूदार फूलों पर परियां नाचती है पर सचमुच मैने आज तक कभी भी जमीझ के फूलों को नही देखा लेकिन सोचो कितना ,मुहब्बत–परस्त दिलफेंक–खयाली इंसान होगा वो जिसने जमीझ जैसे दरख़्त के फ़ूल के साथ परियों का तसव्वुर किया ये यकीनन उसके जज्बात–ए–मुहब्बत की इंतहा रही होगी ©Sultan Mohit Bajpai

जमीझ के फूल❤️



(जमीझ–गूलर)

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