झूठ को तेरे मैने इश्क को हराते देखा है, तेरी महोब्
"झूठ को तेरे मैने इश्क को हराते देखा है,
तेरी महोब्बत को मैने सरे बाजार देखा है,
कुछ तेरी तस्वीरों से पूछ कर देखा है,
याद आती है बहुत, आँशुओं को पोछ सूखा देगी क्या…?
एक पथिक सुमन भट्ट...✍️"
झूठ को तेरे मैने इश्क को हराते देखा है,
तेरी महोब्बत को मैने सरे बाजार देखा है,
कुछ तेरी तस्वीरों से पूछ कर देखा है,
याद आती है बहुत, आँशुओं को पोछ सूखा देगी क्या…?
एक पथिक सुमन भट्ट...✍️