P-२ @everyone रहमत की बारिश बरसने को है शयातीन भ | हिंदी Poetry

"P-२ @everyone रहमत की बारिश बरसने को है शयातीन भी सब जकड़ने को है दिले बाग़-ए-इन्सा संभलने को है हर जानिब नेकी मचलने को है सेहरी से घर सब महकने को है इफ्तारी चादर भी सजने को है मेहमान, रमज़ान बनने को है आसमानी हिलाल अब उतरने को है नसीबा ऐ 'समीर ' संवरने को है क़िस्मत तेरा नाज़ करने को है ©शमशूदिन सुलेमानी कुरैशी"

 P-२

@everyone

रहमत की बारिश बरसने को है
शयातीन भी सब जकड़ने को है

दिले बाग़-ए-इन्सा संभलने को है
हर जानिब नेकी मचलने को है

सेहरी से घर सब महकने को है
इफ्तारी चादर भी सजने को है

मेहमान, रमज़ान बनने को है
आसमानी हिलाल अब उतरने को है

नसीबा ऐ 'समीर ' संवरने को है
क़िस्मत तेरा नाज़ करने को है

©शमशूदिन सुलेमानी कुरैशी

P-२ @everyone रहमत की बारिश बरसने को है शयातीन भी सब जकड़ने को है दिले बाग़-ए-इन्सा संभलने को है हर जानिब नेकी मचलने को है सेहरी से घर सब महकने को है इफ्तारी चादर भी सजने को है मेहमान, रमज़ान बनने को है आसमानी हिलाल अब उतरने को है नसीबा ऐ 'समीर ' संवरने को है क़िस्मत तेरा नाज़ करने को है ©शमशूदिन सुलेमानी कुरैशी

#ramadan

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