रिश्तेदारियों की भी एक उम्र होती है।
प्रारम्भ में जो आपसी प्रेम और लगाव होता है,
वह समय के साथ दोनों ही पक्षों द्वारा,
धीरे-धीरे उदासीनता की तरफ बढ़ता चला जाता है।
प्राथमिकता में नई-नई रिश्तेदारियाँ आती जाती है,
और पुरानी रिश्तेदारियाँ उम्र ढलने के साथ,
समाप्ति की ओर बढ़ने लगती हैं।
रिश्ते निभाना, रिश्तेदारियों के बंधनों को,
मजबूत बनाये रखना बहुत बड़ी कला है।
ये सबके बस की बात नही होती।
रिश्तों की उदासीनता में,
अयोग्य लोगों का, बहुत बड़ा हाथ होता है।
अयोग्य लोग बड़े कुचक्री होते हैं,
और ऐसे लोगों की वजह से ही,
रिश्तेदारियाँ समय से पूर्व ही उदासीनता,
और कभी - कभी तो अंत को प्राप्त हो जाती हैं।
......कौशल तिवारी
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©Kaushal Kumar
#रिश्तेदारियाँ