दुनिया की बहती धारा के विपरित नही चलेंगे..... तो फ | हिंदी कविता

"दुनिया की बहती धारा के विपरित नही चलेंगे..... तो फिर दुनिया याद कैसे करेगी किनारा पाने का मजा तो लहरों से टकराने में है दुर्गेश कुमार 'रजनीश' ©Durgesh kumar"

 दुनिया की बहती धारा के विपरित नही चलेंगे..... तो फिर दुनिया याद कैसे करेगी

किनारा पाने का मजा तो लहरों से टकराने में है

दुर्गेश कुमार 'रजनीश'

©Durgesh kumar

दुनिया की बहती धारा के विपरित नही चलेंगे..... तो फिर दुनिया याद कैसे करेगी किनारा पाने का मजा तो लहरों से टकराने में है दुर्गेश कुमार 'रजनीश' ©Durgesh kumar

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