काश इस दिवाली राष्ट्रहित का गला घोंटकर , छेद ना क

"काश इस दिवाली राष्ट्रहित का गला घोंटकर , छेद ना करना थाली में, मिट्टी वाले दीये जलाना , अबकी बार दीवाली में....।। दिन में भी सोये हैं , रात में भी सोयें हैं मगर मजेदार नींद तो आती है उस रात काली में, मिट्टी वाले दिये जलाना , अबकी बार दीवाली में....।। कविता तो लिखते हैं सभी , पर जो मजा आप वाली में, तेल के तुम अब दिये जलाना , अबकी बार दीवाली में.... ।। गानों का तो क्या सुनना , मजा तो होता कव्वाली में, खुशीयाँ मनाना आप सभी से , अबकी बार दीवाली में.... ।। देता हूँ एक नसीहत आप सभी को , कभी ना फंसना तुम किसी की जाली में, ना प्रयोग करना विदेशी बत्तीयों का , अबकी बार दीवाली में....।। रक्षा तो करते है सब यहाँ , मगर जो मजा है सरहद की रखवाली में, घर को उन बत्तीयों से ना तुम रोशन करना , अबकी बार दीवाली में.... ।। सदा रहना राष्ट्र के सगं ,चाहे जो भी हो अपना ढंग, खेल ना खेलना मैदान खाली में, मिट्टी वाले दीये जलाना , अबकी बार दीवाली में.....।। राष्ट्रहित का गला घोंटकर , छेद ना करना थाली में, मिट्टी वाले दीये जलाना , अबकी बार दीवाली में....।।"

 काश इस दिवाली  राष्ट्रहित का गला घोंटकर , छेद ना करना थाली में,
मिट्टी वाले दीये जलाना , अबकी बार दीवाली में....।।
दिन में भी सोये हैं , रात में भी सोयें हैं
मगर मजेदार  नींद तो आती है उस रात काली  में,
मिट्टी वाले दिये जलाना , अबकी बार दीवाली में....।।
कविता तो लिखते हैं  सभी , पर जो मजा आप वाली में,
तेल के तुम अब दिये जलाना , अबकी बार दीवाली में.... ।।
गानों का तो क्या सुनना , मजा तो होता कव्वाली में,
खुशीयाँ मनाना आप सभी से , अबकी बार दीवाली में.... ।।
देता हूँ एक नसीहत आप सभी को , कभी ना फंसना तुम किसी की जाली में,
ना प्रयोग करना विदेशी बत्तीयों का , अबकी बार दीवाली में....।।
रक्षा तो करते है सब यहाँ , मगर जो मजा है सरहद की रखवाली में,
घर को उन बत्तीयों से ना तुम रोशन करना , अबकी बार दीवाली में.... ।।
सदा रहना राष्ट्र के सगं ,चाहे जो भी हो अपना ढंग,
खेल ना खेलना मैदान खाली में,
मिट्टी वाले दीये जलाना  , अबकी बार दीवाली में.....।।
राष्ट्रहित का गला घोंटकर , छेद ना करना थाली में,
मिट्टी वाले दीये जलाना , अबकी बार दीवाली में....।।

काश इस दिवाली राष्ट्रहित का गला घोंटकर , छेद ना करना थाली में, मिट्टी वाले दीये जलाना , अबकी बार दीवाली में....।। दिन में भी सोये हैं , रात में भी सोयें हैं मगर मजेदार नींद तो आती है उस रात काली में, मिट्टी वाले दिये जलाना , अबकी बार दीवाली में....।। कविता तो लिखते हैं सभी , पर जो मजा आप वाली में, तेल के तुम अब दिये जलाना , अबकी बार दीवाली में.... ।। गानों का तो क्या सुनना , मजा तो होता कव्वाली में, खुशीयाँ मनाना आप सभी से , अबकी बार दीवाली में.... ।। देता हूँ एक नसीहत आप सभी को , कभी ना फंसना तुम किसी की जाली में, ना प्रयोग करना विदेशी बत्तीयों का , अबकी बार दीवाली में....।। रक्षा तो करते है सब यहाँ , मगर जो मजा है सरहद की रखवाली में, घर को उन बत्तीयों से ना तुम रोशन करना , अबकी बार दीवाली में.... ।। सदा रहना राष्ट्र के सगं ,चाहे जो भी हो अपना ढंग, खेल ना खेलना मैदान खाली में, मिट्टी वाले दीये जलाना , अबकी बार दीवाली में.....।। राष्ट्रहित का गला घोंटकर , छेद ना करना थाली में, मिट्टी वाले दीये जलाना , अबकी बार दीवाली में....।।

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