बयाँ कुछ और ही कर रहा है चेहरा उसका
ग़म-ए-ज़िन्दगी में भी जैसे मुस्कुराने सा है
हैं कई काम कि जो कभी हो नहीं सकते
ऐसा ही इक काम उसे भुलाने सा है
वो शख्स जो ज़माने में मेरा सबसे खास था
वो शख़्स आज खुद ही इस जमाने सा है
आसान नहीं किसी के हमेशा ख़ास बने रहना
ये काम भी आँधी में दिया जलाने सा है
तू आएगी मिलने मुझसे फ़िर किसी रोज
ये ख़याल भी बस दिल को बहलाने सा है
©Nitin Soni
#foryouonly
#lost