चलना काँच पे हो या कोई और शर्त हो
तुझे पाने की ख़ातिर सब मंजूर है हमें
और किसी बात का तो कोई घमण्ड नहीं
बस तू साथ है मेरे ये गुरूर है हमें
तूने अपने हाथों से पिलाया था जाम किसी रोज़
अभी भी हल्का हल्का सुरूर है हमें
मुझे ब्लॉक करके तू खुद भी तो रोती होगी
अब इतना तो यकीन जरूर है हमें
अब नहीं ये दिल सबको अपना मानने लगा है
नक़ाब से छुपा चेहरा भी अब ये पहचानने लगा है
मैं बारिश में भी पहचानता था जिसकी आंख के आंसू
मुझसे बेहतर उसे अब कोई और जानने लगा है
-Nitin-
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here