ज़िंदगी में एक कहानी आपको पसंद आती है...
आप उसे दिल से पढ़ना शुरू करते हैं
पर कुछ पन्नों को पढ़ने के बाद ,
आप महसूस करते हैं कि,
जिस किरदार में आपने दिलचस्पी ली
और उसे आप अपना बना कर
कहानी को पढ़ते हैं,
वो तो अब बदला सा लगने लगा है...
और फ़िर,
वो कहानी अधूरी रह जाती है..!!
"श्री"
ज़िंदगी में एक कहानी आपको पसंद आती है...
आप उसे दिल से पढ़ना शुरू करते हैं
पर कुछ पन्नों को पढ़ने के बाद ,
आप महसूस करते हैं कि,
जिस किरदार में आपने दिलचस्पी ली
और उसे आप अपना बना कर
कहानी को पढ़ते हैं,
वो तो अब बदला सा लगने लगा है...