एक था बालक बड़ा ओजस्वी
जुनून से रग रग भरा हुआ
खेल ही उसका सोवन जागन
खेल ही सिर पर चढ़ा हुआ
पिता कहें कुछ पढ़ लो बेटा
काम आयेगा जीवन में
मिल जावे सरकारी नौकरी
सफल हो जावे जीवन में
रेल विभाग में मिली नौकरी
रास उसे ना आई
त्याग दिया फिर लौट गया वो
अपने पथ को भाई
इन्तज़ार था जिस पल का
वो घड़ी एक दिन आई
चयनित हो गया खेल में जब वो
हवा में गेंद उड़ाई
गूंजा क्रीड़ांगन बल्ले से
जब चौंका छक्का बरसे
मचा धूम हर जन जन में
तब सारी जनता हरषे
जब उतर जाये बल्ला ले पीच
मचे खलबली प्रतिद्वंद्वी बीच
उसकी चुप्पी कुछ कह जाये
कभी खेल में ना घबराये
चांद सा चमका सुर्य सा धमका
रांची का वासी निकला
नाम महेंद्र सिंह धोनी
क्रिकेट का जांबाज निकला
- Bhavna Menaria