अगर आग की उठती लपटें कुछ बोल पातीं ! तो वो मुझे ये

"अगर आग की उठती लपटें कुछ बोल पातीं ! तो वो मुझे ये ज़रूर सीखाती ! की मेरे सपनें साकार हो जाएंगे ! बस थोड़ा तपिश में खुद को झोंकने की ज़रूरत हैं ! उससे उठती चिंगारियां रोशनी की किरण बन जाती ! तमस को चीरकर सुनहरा सवेरा ले आती ! ए मेरे दोस्त ! तुम मेरी नज़र से देखते तो तुम कुछ यूं मचल जाते ! इन शोलों से उठती रोशनी में तुम अपना खोया हुआ जोश पा जाते ! ©Jyotshna2000"

 अगर आग की उठती लपटें कुछ
बोल पातीं !
तो वो मुझे ये ज़रूर सीखाती !
की मेरे सपनें साकार हो जाएंगे !
बस थोड़ा तपिश में खुद को 
झोंकने की ज़रूरत हैं !
उससे उठती चिंगारियां रोशनी की किरण
बन जाती !
तमस को चीरकर सुनहरा सवेरा ले आती !
ए मेरे दोस्त ! तुम मेरी नज़र से देखते
तो तुम कुछ यूं मचल जाते !
इन शोलों से उठती रोशनी में तुम
अपना खोया हुआ जोश पा जाते !

©Jyotshna2000

अगर आग की उठती लपटें कुछ बोल पातीं ! तो वो मुझे ये ज़रूर सीखाती ! की मेरे सपनें साकार हो जाएंगे ! बस थोड़ा तपिश में खुद को झोंकने की ज़रूरत हैं ! उससे उठती चिंगारियां रोशनी की किरण बन जाती ! तमस को चीरकर सुनहरा सवेरा ले आती ! ए मेरे दोस्त ! तुम मेरी नज़र से देखते तो तुम कुछ यूं मचल जाते ! इन शोलों से उठती रोशनी में तुम अपना खोया हुआ जोश पा जाते ! ©Jyotshna2000

#dryleaf

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