जब प्यास बुझाऐ ना बुझे लाख बरसातों में, और जब नींद | हिंदी शायरी

"जब प्यास बुझाऐ ना बुझे लाख बरसातों में, और जब नींद भी ना आऐ तन्हा रातों में, तब पता चलता हैं की प्यार किसें कहते हैं जब उसकी याद चुभ रही हो इन आंखों में,"

 जब प्यास बुझाऐ ना बुझे लाख बरसातों में,
और जब नींद भी ना आऐ तन्हा रातों में,
तब पता चलता हैं की प्यार किसें कहते हैं
जब उसकी याद चुभ रही हो इन आंखों में,

जब प्यास बुझाऐ ना बुझे लाख बरसातों में, और जब नींद भी ना आऐ तन्हा रातों में, तब पता चलता हैं की प्यार किसें कहते हैं जब उसकी याद चुभ रही हो इन आंखों में,

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