नासमझ होते हैं वो लोग मेरे दोस्त,
जो दूसरों की मेहनत का मेहनताना
उस मेहनत करने वाले से छिपा के सौदा करते हैं।
नामर्द होते हैं वो लोग मेरे दोस्त,
जो ख़ुद की नाकामी को छिपाकर
औरत को कोसते हैं या उन पर हाथ चलाते हैं।
नपुंसक होते हैं वो लोग मेरे दोस्त,
जो अपने जूनियर के काम का पैसा
सीनियर होने के नाते दूसरों से ऐंठते हैं।
©Jitendra VIJAYSHRI Pandey "JEET "
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