था नहीं मालूम उल्फ़त का मुझे अंजाम सो दिल लुटाकर | हिंदी शायरी

"था नहीं मालूम उल्फ़त का मुझे अंजाम सो दिल लुटाकर आ गये थे बेवफ़ा के प्यार में। तुम अकेले ही नहीं रोये मुहब्बत में यहाँ दर्द की है दफ़्न मैंने भी पस-ए-दीवार में। ©Vikash Kumar"

 था नहीं मालूम उल्फ़त का मुझे अंजाम सो 
दिल लुटाकर आ गये थे बेवफ़ा के प्यार में।

तुम अकेले  ही नहीं  रोये मुहब्बत  में यहाँ 
दर्द की है  दफ़्न मैंने  भी पस-ए-दीवार में।

©Vikash Kumar

था नहीं मालूम उल्फ़त का मुझे अंजाम सो दिल लुटाकर आ गये थे बेवफ़ा के प्यार में। तुम अकेले ही नहीं रोये मुहब्बत में यहाँ दर्द की है दफ़्न मैंने भी पस-ए-दीवार में। ©Vikash Kumar

था नहीं मालूम उल्फ़त का मुझे अंजाम सो
दिल लुटाकर आ गये थे बेवफ़ा के प्यार में।

तुम अकेले ही नहीं रोये मुहब्बत में यहाँ
दर्द की है दफ़्न मैंने भी पस-ए-दीवार में।
-- Vikash Kumar

#together

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