दुश्मन दौड़ता है मारने को तो हिफ़ाजत क्यों नहीं करता

"दुश्मन दौड़ता है मारने को तो हिफ़ाजत क्यों नहीं करता , गिर रहा है तेरा मकान तो फिर ईमारत क्यों नहीं करता । तुझे जान से मार देगी ये तंगदस्ती किसी रोज़ अचानक , तो फिर ख़ुद के जिंदा रहते ही रियाज़त क्यों नहीं करता...!! ―©मयंक कुमार 'आफ़ताब' ©Mayank Kumar 'Aftaab'"

 दुश्मन दौड़ता है मारने को तो हिफ़ाजत क्यों नहीं करता ,
गिर रहा है तेरा मकान तो फिर  ईमारत क्यों नहीं करता ।
तुझे जान से मार देगी  ये तंगदस्ती  किसी रोज़ अचानक ,
तो फिर ख़ुद के जिंदा रहते ही रियाज़त क्यों नहीं करता...!!

―©मयंक कुमार 'आफ़ताब'

©Mayank Kumar 'Aftaab'

दुश्मन दौड़ता है मारने को तो हिफ़ाजत क्यों नहीं करता , गिर रहा है तेरा मकान तो फिर ईमारत क्यों नहीं करता । तुझे जान से मार देगी ये तंगदस्ती किसी रोज़ अचानक , तो फिर ख़ुद के जिंदा रहते ही रियाज़त क्यों नहीं करता...!! ―©मयंक कुमार 'आफ़ताब' ©Mayank Kumar 'Aftaab'

दुश्मन दौड़ता है मारने को तो हिफ़ाजत क्यों नहीं करता ,
गिर रहा है तेरा मकान तो फिर ईमारत क्यों नहीं करता ।
तुझे जान से मार देगी ये तंगदस्ती किसी रोज़ अचानक ,
तो फिर ख़ुद के जिंदा रहते ही रियाज़त क्यों नहीं करता...!!

―©मयंक कुमार 'आफ़ताब'

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