जिंदगी लाख कोशिशें कर लो सुलझाने की,  पर उलझती ह | हिंदी Poetry

"जिंदगी लाख कोशिशें कर लो सुलझाने की,  पर उलझती हीं चली जाएगी , जिंदगी एक पहेली है,  जो कभी समझ नहीं आएगी | कभी दर्द से भरी,  तो कभी खुशियों के सहारे खड़ी, कभी हार गयी बिना लड़े, तो कभी डटकर है लड़ी | कभी हिम्मत ऐसे देती,  मानों पर्वतो के भाँति हो अडिग, कभी बिखरे ऐसे मानों,  बांधते न बाँध पाये कोई | किसी मोड़ पर है शोर करती,  तो कहीं सन्नाटों से भरी, हर एक मोड़ पर मानो खेल रही हो,  शतरंजी खेल खड़ी-खड़ी | राहें न आसान है इसकी,  जैसे चाहे वैसे घुमाएं, यही जिंदगी है जनाब,  जज़्बातों से बस खेलता जाए || ........... ©अपनी कलम से"

 जिंदगी 

लाख कोशिशें कर लो सुलझाने की,  पर उलझती हीं चली जाएगी ,
जिंदगी एक पहेली है,  जो कभी समझ नहीं आएगी | 

कभी दर्द से भरी,  तो कभी खुशियों के सहारे खड़ी,
कभी हार गयी बिना लड़े, तो कभी डटकर है लड़ी | 

कभी हिम्मत ऐसे देती,  मानों पर्वतो के भाँति हो अडिग, 
कभी बिखरे ऐसे मानों,  बांधते न बाँध पाये कोई | 

किसी मोड़ पर है शोर करती,  तो कहीं सन्नाटों से भरी, 
हर एक मोड़ पर मानो खेल रही हो,  शतरंजी खेल खड़ी-खड़ी | 

राहें न आसान है इसकी,  जैसे चाहे वैसे घुमाएं, 
यही जिंदगी है जनाब,  जज़्बातों से बस खेलता जाए ||


...........

©अपनी कलम से

जिंदगी लाख कोशिशें कर लो सुलझाने की,  पर उलझती हीं चली जाएगी , जिंदगी एक पहेली है,  जो कभी समझ नहीं आएगी | कभी दर्द से भरी,  तो कभी खुशियों के सहारे खड़ी, कभी हार गयी बिना लड़े, तो कभी डटकर है लड़ी | कभी हिम्मत ऐसे देती,  मानों पर्वतो के भाँति हो अडिग, कभी बिखरे ऐसे मानों,  बांधते न बाँध पाये कोई | किसी मोड़ पर है शोर करती,  तो कहीं सन्नाटों से भरी, हर एक मोड़ पर मानो खेल रही हो,  शतरंजी खेल खड़ी-खड़ी | राहें न आसान है इसकी,  जैसे चाहे वैसे घुमाएं, यही जिंदगी है जनाब,  जज़्बातों से बस खेलता जाए || ........... ©अपनी कलम से

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