जिंदगी
लाख कोशिशें कर लो सुलझाने की, पर उलझती हीं चली जाएगी ,
जिंदगी एक पहेली है, जो कभी समझ नहीं आएगी |
कभी दर्द से भरी, तो कभी खुशियों के सहारे खड़ी,
कभी हार गयी बिना लड़े, तो कभी डटकर है लड़ी |
कभी हिम्मत ऐसे देती, मानों पर्वतो के भाँति हो अडिग,
कभी बिखरे ऐसे मानों, बांधते न बाँध पाये कोई |
किसी मोड़ पर है शोर करती, तो कहीं सन्नाटों से भरी,
हर एक मोड़ पर मानो खेल रही हो, शतरंजी खेल खड़ी-खड़ी |
राहें न आसान है इसकी, जैसे चाहे वैसे घुमाएं,
यही जिंदगी है जनाब, जज़्बातों से बस खेलता जाए ||
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©अपनी कलम से
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