मैं मुहब्बत लिखूं या कोई हसीं कहा | हिंदी कविता

"मैं मुहब्बत लिखूं या कोई हसीं कहानी लिखूं,, मेरे गीतों से हरदम शहादत की साज आएगी।। मेरे ताबूत को कील लगाकर कर जमीदोज कर देना,, तुम जब भी खोलोगे वन्दे मातरं आवाज आएगी।। Sajal jain"

 मैं मुहब्बत लिखूं या 
              
 कोई हसीं कहानी लिखूं,,


मेरे गीतों से हरदम 
               
 शहादत की साज आएगी।।


मेरे ताबूत को कील लगाकर 
                  
कर जमीदोज कर देना,,


तुम जब भी खोलोगे 
              
वन्दे मातरं आवाज आएगी।।

Sajal jain

मैं मुहब्बत लिखूं या कोई हसीं कहानी लिखूं,, मेरे गीतों से हरदम शहादत की साज आएगी।। मेरे ताबूत को कील लगाकर कर जमीदोज कर देना,, तुम जब भी खोलोगे वन्दे मातरं आवाज आएगी।। Sajal jain

मैं मुहब्बत लिखूं या

कोई हसीं कहानी लिखूं,,


मेरे गीतों से हरदम

शहादत की साज आएगी।।

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