sajal jain

sajal jain Lives in Jhalon, Madhya Pradesh, India

जो भी है जैसी भी है मुहब्बत है हमारी subscribe my youtube chanale sajal jain.......

https://youtu.be/0WvbujR8r_0

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अगर देश को कुछ माना हो , मेरा कहा ये सह लेना सैनिक सामने आ जाये तो, वन्दे मातरम् कह देना

#कविता  अगर देश को कुछ माना हो , 

मेरा कहा ये सह लेना

सैनिक सामने आ जाये तो,

 वन्दे मातरम् कह देना

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मैं मुहब्बत लिखूं या कोई हसीं कहानी लिखूं,, मेरे गीतों से हरदम शहादत की साज आएगी।। मेरे ताबूत को कील लगाकर कर जमीदोज कर देना,, तुम जब भी खोलोगे वन्दे मातरं आवाज आएगी।। Sajal jain

#कविता  मैं मुहब्बत लिखूं या 
              
 कोई हसीं कहानी लिखूं,,


मेरे गीतों से हरदम 
               
 शहादत की साज आएगी।।


मेरे ताबूत को कील लगाकर 
                  
कर जमीदोज कर देना,,


तुम जब भी खोलोगे 
              
वन्दे मातरं आवाज आएगी।।

Sajal jain

मैं मुहब्बत लिखूं या कोई हसीं कहानी लिखूं,, मेरे गीतों से हरदम शहादत की साज आएगी।।

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बेहया थी बेवफा थी बेरंगी सोहबत थी हमारी तमन्ना ए खाक कर गयी बेहद बुरी आदत थी हमारी पर उस पर ऊँगली उठाना चाहो तो सो बार सोचना जो भी थी जैसी भी थी मियाँ मुहब्बत थी हमारी

 बेहया थी बेवफा थी बेरंगी सोहबत थी हमारी

तमन्ना ए खाक कर गयी बेहद बुरी आदत थी हमारी

पर उस पर ऊँगली उठाना चाहो तो सो बार सोचना

जो भी थी जैसी भी थी मियाँ मुहब्बत थी हमारी

behya

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लाख कोशिशें की तुम्हे भूल जाने की पर किसी ने कलाई पकड़ी तो तुम्हारी याद आ गयी खाई में तो कूदने वाले ही थे हम एक पत्थर क्या गिरा तेरी फरियाद आ गयी

#कविता  लाख कोशिशें की तुम्हे भूल जाने की

पर किसी ने कलाई पकड़ी तो तुम्हारी याद आ गयी

खाई में तो कूदने वाले ही थे हम

एक पत्थर क्या गिरा तेरी फरियाद आ गयी

भूलना

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दीपावली और तुम में से बोलो किन्हें मनाये...... हम दिल तो पूरा जला दिया अब कोनसा दिया जलाए हम

#शायरी  दीपावली और तुम में से बोलो किन्हें मनाये...... हम

दिल तो पूरा जला दिया अब कोनसा दिया जलाए हम

deelabali

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जिनके एक नाम से ही हम सभी का नाम है ऐसे स्वयंबुद्ध का जी नाम है महात्मा जिनके शब्द शब्द में ही वेद का सम्भाव्य है ऐसे वेद वाक्य के है गान ये महात्मा अर्क जैसा तप्त तेज श्वेत वस्त्र मूल भेष गिरी हिमखंड जैसे लग रहे महात्मा डगमगा रहे है हाथ सांस दे रही न साथ फिर भी देखो मोक्ष पंथ चल रहे महात्मा

 जिनके एक नाम से ही हम सभी का नाम है ऐसे स्वयंबुद्ध का जी नाम है महात्मा

जिनके शब्द शब्द में ही वेद का सम्भाव्य है ऐसे वेद वाक्य के है गान ये महात्मा

अर्क जैसा तप्त तेज श्वेत वस्त्र मूल भेष गिरी हिमखंड जैसे लग रहे महात्मा

डगमगा रहे है हाथ सांस दे रही न साथ फिर भी देखो मोक्ष पंथ चल रहे महात्मा

mahatma

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