मैं मुहब्बत लिखूं या
कोई हसीं कहानी लिखूं,,
मेरे गीतों से हरदम
शहादत की साज आएगी।।
मेरे ताबूत को कील लगाकर
कर जमीदोज कर देना,,
तुम जब भी खोलोगे
वन्दे मातरं आवाज आएगी।।
Sajal jain
मैं मुहब्बत लिखूं या
कोई हसीं कहानी लिखूं,,
मेरे गीतों से हरदम
शहादत की साज आएगी।।
13 Love
बेहया थी बेवफा थी बेरंगी सोहबत थी हमारी
तमन्ना ए खाक कर गयी बेहद बुरी आदत थी हमारी
पर उस पर ऊँगली उठाना चाहो तो सो बार सोचना
जो भी थी जैसी भी थी मियाँ मुहब्बत थी हमारी
जिनके एक नाम से ही हम सभी का नाम है ऐसे स्वयंबुद्ध का जी नाम है महात्मा
जिनके शब्द शब्द में ही वेद का सम्भाव्य है ऐसे वेद वाक्य के है गान ये महात्मा
अर्क जैसा तप्त तेज श्वेत वस्त्र मूल भेष गिरी हिमखंड जैसे लग रहे महात्मा
डगमगा रहे है हाथ सांस दे रही न साथ फिर भी देखो मोक्ष पंथ चल रहे महात्मा
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