माँ बेटी को विदा कर देती है
कुछ आंसू रोती है कुछ अंदर ही रख लेती है
देते है सभी कुछ न कुछ उपहार में
माँ संस्कारों की गठरी देती है
अपने जीवन भर के अनुभव से
बेटी का दामन भर देती है
अब से दोनों घरों की मर्यादा निभानी है
बेटी के कानो मे चुपके से कह देती है
माँ जिसने पाल पोष कर बड़ा किया
क्युं एकदम से बेगाना कर देती है
सब कुछ निभाने की कोशिश में बेटी
अपनी उम्र पूरी कर देती है
जो संस्कार माँ ने उसे दिए थे
आगे चल कर वो अपने बच्चों को देती है
:-Sahil Dhankar ✍️...
#माँ_बेटी