ए-सावन ऐसी बरसात कर कि सब भीग जाए तन तो भीग गया अब | हिंदी कविता

"ए-सावन ऐसी बरसात कर कि सब भीग जाए तन तो भीग गया अब मन भी भीग जाए तन का मैल धुल गया ,अब मन का भी मैल धुल जाए ऐसा भिगा कि धुल के सबका व्यक्तित्व स्वक्ष हो जाए भगवन ऐसी बारिश करना कि सब तर हो जाए बीज बोया है आज प्रेम का वो भी पनप जाए एक आशा है सावन तुझसे कि तू सबको प्रेम करना सिखा जाए लोगों के हृदय में प्रेम जगा,घृणा का अस्तित्व समाप्त हो जाये ©Richa Dhar"

 ए-सावन ऐसी बरसात कर कि सब भीग जाए
तन तो भीग गया अब मन भी भीग जाए

तन का मैल धुल गया ,अब मन का भी मैल धुल जाए
ऐसा भिगा कि धुल के सबका व्यक्तित्व स्वक्ष हो जाए

भगवन ऐसी बारिश करना कि सब तर हो जाए
बीज बोया है आज प्रेम का वो भी पनप जाए

एक आशा है सावन तुझसे कि तू सबको प्रेम करना सिखा जाए
लोगों के हृदय में प्रेम जगा,घृणा का अस्तित्व समाप्त हो जाये

©Richa Dhar

ए-सावन ऐसी बरसात कर कि सब भीग जाए तन तो भीग गया अब मन भी भीग जाए तन का मैल धुल गया ,अब मन का भी मैल धुल जाए ऐसा भिगा कि धुल के सबका व्यक्तित्व स्वक्ष हो जाए भगवन ऐसी बारिश करना कि सब तर हो जाए बीज बोया है आज प्रेम का वो भी पनप जाए एक आशा है सावन तुझसे कि तू सबको प्रेम करना सिखा जाए लोगों के हृदय में प्रेम जगा,घृणा का अस्तित्व समाप्त हो जाये ©Richa Dhar

#Barsaat बरसात

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