चलो मान लिया कि मुस्लिम नही मानते श्री राम कृष्ण कोई थे किन्तु जब "रघुपति राघव राजा राम चलता है तब कुछ देर के लिए वो भी क्यूं मंत्रमुग्ध हो जाते हैं क्यूं कृष्ण की बाल लीलाओं का आनंद लेते हैं । मैने नही देखा अज़ान के समय लोगों को मंत्र मुग्ध होते और ना ही कभी अल्लाह इंशाल्लाह बोल कर आत्मा को शांत होते हुए, वही अगर हनुमान चालीसा चल रहा हो हर धर्म के लोग ठहर जाते हैं सोचने लगते हैं कि कितने बलशाली रहे थे मैने कभी कहीं कुरान का व्याख्यान नही सुना किंतु हर गली मोहल्ले में चर्चे सुने है भगवद गीता के, विचार कीजिए जिनके नाम में इतना रस है ,कि सय्यद इब्राहिम (रसखान ) श्री कृष्ण में बस गए। मैं किसी धर्म की अवहेलना कतई नहीं कर रही, थोड़ा समझना चाह रही हूं हिंदुत्व को, जिनके नाम मात्र पर पूरा कलयुग पागल है विचार करो अगर उनके दर्शन हो जाए तो क्या मनुष्य किसी और को देखने की चाह रखेगा कभी नही ।।
©shalini singh chauhan
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