जिंदगी के सफर में कई सैलाब आए है,
आंखे बंद करके गमों में मुस्कुराएं हैं,
मैंने ख्वाब के गुलदस्ते में कई कांटे पाए हैं,
मिलों की दूरी को सदियों में काट पाए हैं,
मुझे तलाश है इस भीड़ मेरे वजूद की,
मैंने खुद को भूल कर मेरे अपने हसाएं हैं,
मेरा होना न होना अब मर्जी है लोगों की,
उन्हें खुशियों की महल देकर ,हमने अपने आशियाने
भी गवाएं है..!!
©Poet Shawaaz
#Exploration