"जमीं पर उतर आया करो ख्वाब ताबीर करने को
नज़दीकी आ हक़ीक़त से रूबरू हो जाओगे
आसमाँ से ज़ख्म का पता नही चलता है चाँद को
दिल को दर्द नही होता,वहम भूल जाओगे
इंसां से मिलकर सोचना जिंदगी के दिये गमो को
इश्क़ न करोगे तो मुश्त ए ख़ाक हो जाओगे"
जमीं पर उतर आया करो ख्वाब ताबीर करने को
नज़दीकी आ हक़ीक़त से रूबरू हो जाओगे
आसमाँ से ज़ख्म का पता नही चलता है चाँद को
दिल को दर्द नही होता,वहम भूल जाओगे
इंसां से मिलकर सोचना जिंदगी के दिये गमो को
इश्क़ न करोगे तो मुश्त ए ख़ाक हो जाओगे