मुझे नफरत हो रही है खुदसे, क्यूं में किसी का दिल | हिंदी Shayari

"मुझे नफरत हो रही है खुदसे, क्यूं में किसी का दिल तोड़ रहा हूं। वो प्यार कितना करती हे मुझसे, फिर भी हमसाए से रिश्ता जोड़ रहा हूं। हा में थक सा गया हूं, अपनी उलझनों में उलझ सा गया हूं। और अब तलाश बस खुद की है मुझे, अब मैं हर रिश्ते से खुद को आज़ाद कर रहा हूं।।।। ©Broken Guru"

 मुझे नफरत हो रही है खुदसे, 
क्यूं में किसी का दिल तोड़ रहा हूं।

वो प्यार कितना करती हे मुझसे, 
फिर भी हमसाए से रिश्ता जोड़ रहा हूं।

हा में थक सा गया हूं,
अपनी उलझनों में उलझ सा गया हूं।

और अब तलाश बस खुद की है मुझे,
 अब मैं हर रिश्ते से खुद को आज़ाद कर रहा हूं।।।।

©Broken Guru

मुझे नफरत हो रही है खुदसे, क्यूं में किसी का दिल तोड़ रहा हूं। वो प्यार कितना करती हे मुझसे, फिर भी हमसाए से रिश्ता जोड़ रहा हूं। हा में थक सा गया हूं, अपनी उलझनों में उलझ सा गया हूं। और अब तलाश बस खुद की है मुझे, अब मैं हर रिश्ते से खुद को आज़ाद कर रहा हूं।।।। ©Broken Guru

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Mushafir

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