LOVE प्रेम न तो स्वयं के अतिरिक्त कुछ देता है, न | हिंदी Love

"LOVE प्रेम न तो स्वयं के अतिरिक्त कुछ देता है, न ही प्रेम स्वयं के अलावा कुछ लेता है। प्रेम किसी पर नियंत्रण नहीं रखता, न ही प्रेम पर किसी का नियंत्रण होता है। चूंकि प्रेम के लिए बस प्रेम ही पर्याप्त है जब तुम प्रेम में हो, यह मत कहो कि ईश्वर मेरे हृदय में है, बल्कि कहो कि मैं ईश्वर के हृदय में हूँ। यह मत सोचो कि तुम प्रेम को उसकी राह बता सकते हो। बल्कि यदि प्रेम तुम्हें योग्य समझेगा, तो वह स्वयं तुम्हें तुम्हारा रास्ता बताएगा। ©SWAMI GYAN"

 LOVE  प्रेम न तो स्वयं के अतिरिक्त कुछ देता है, 
न ही प्रेम स्वयं के अलावा कुछ लेता है।

प्रेम किसी पर नियंत्रण नहीं रखता, 
न ही प्रेम पर किसी का नियंत्रण होता है। 
चूंकि प्रेम के लिए बस प्रेम ही पर्याप्त है

जब तुम प्रेम में हो, 
यह मत कहो कि ईश्वर मेरे हृदय में है, 
बल्कि कहो कि मैं ईश्वर के हृदय में हूँ। 

यह मत सोचो कि 
तुम प्रेम को उसकी राह बता सकते हो। 
बल्कि यदि प्रेम तुम्हें योग्य समझेगा, 
तो वह स्वयं तुम्हें तुम्हारा रास्ता बताएगा।

©SWAMI GYAN

LOVE प्रेम न तो स्वयं के अतिरिक्त कुछ देता है, न ही प्रेम स्वयं के अलावा कुछ लेता है। प्रेम किसी पर नियंत्रण नहीं रखता, न ही प्रेम पर किसी का नियंत्रण होता है। चूंकि प्रेम के लिए बस प्रेम ही पर्याप्त है जब तुम प्रेम में हो, यह मत कहो कि ईश्वर मेरे हृदय में है, बल्कि कहो कि मैं ईश्वर के हृदय में हूँ। यह मत सोचो कि तुम प्रेम को उसकी राह बता सकते हो। बल्कि यदि प्रेम तुम्हें योग्य समझेगा, तो वह स्वयं तुम्हें तुम्हारा रास्ता बताएगा। ©SWAMI GYAN

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