तन्हाइयों से घिरा माँ भरी महफ़िल में जन्नत तेरे ना

"तन्हाइयों से घिरा माँ भरी महफ़िल में जन्नत तेरे नाम मैं अाज भी लिखता हूँ, जाते-जाते माँ यु खामोश कर गयी मैं उस ख़ामोशी में दो लफ़्ज़ अाज भी लिखता हूँ! और क्या लिखे तेरे बारे में ए माँ ,तेरे जाने केे बाद मैं अपने वजूद को भी मौत लिखता हूँ!!"

 तन्हाइयों से घिरा माँ भरी महफ़िल में जन्नत तेरे नाम मैं अाज भी लिखता हूँ, जाते-जाते माँ यु खामोश कर गयी मैं उस ख़ामोशी में दो लफ़्ज़ अाज भी लिखता हूँ! 
और क्या लिखे तेरे बारे में ए माँ ,तेरे जाने केे बाद मैं अपने वजूद को भी मौत लिखता हूँ!!

तन्हाइयों से घिरा माँ भरी महफ़िल में जन्नत तेरे नाम मैं अाज भी लिखता हूँ, जाते-जाते माँ यु खामोश कर गयी मैं उस ख़ामोशी में दो लफ़्ज़ अाज भी लिखता हूँ! और क्या लिखे तेरे बारे में ए माँ ,तेरे जाने केे बाद मैं अपने वजूद को भी मौत लिखता हूँ!!

ख़ामोशी में दो लफ़्ज़

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