ज़रूरी है गिरे कुछ बून्द स्याही पन्नों पर तो आफत | हिंदी शायरी

"ज़रूरी है गिरे कुछ बून्द स्याही पन्नों पर तो आफत हो जाएगी कहें होंठ कुछ रु-बरु उनके शायद ये खिलाफत हो जाएगी लफ्ज़-बा-लफ्ज़ झलकता है झूठ शायर की आवाज़ मे संभालकर! किसी ने सुन लिया तो क़यामत हो जाएगी..... ©prakash"

 ज़रूरी है   गिरे कुछ बून्द स्याही पन्नों पर
तो आफत हो जाएगी
कहें होंठ कुछ रु-बरु उनके
शायद ये खिलाफत हो जाएगी

लफ्ज़-बा-लफ्ज़ झलकता है
झूठ शायर की आवाज़ मे

संभालकर! किसी ने सुन लिया
तो क़यामत हो जाएगी.....

©prakash

ज़रूरी है गिरे कुछ बून्द स्याही पन्नों पर तो आफत हो जाएगी कहें होंठ कुछ रु-बरु उनके शायद ये खिलाफत हो जाएगी लफ्ज़-बा-लफ्ज़ झलकता है झूठ शायर की आवाज़ मे संभालकर! किसी ने सुन लिया तो क़यामत हो जाएगी..... ©prakash

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