बाहर भी अब अंदर जैसा सन्नाटा है
दरिया के उस पार भी गहरा सन्नाटा है
शोर थमे तो शायद सदियाँ बीत चुकी हैं
अब तक लेकिन सहमा सहमा सन्नाटा है
किस से बोलूँ ये तो इक सहरा है जहाँ पर
मैं हूँ या फिर गूँगा बहरा सन्नाटा है
जैसे इक तूफ़ान से पहले की ख़ामोशी
आज मिरी बस्ती में ऐसा सन्नाटा है
सोच रहे हो सोचो लेकिन बोल न पड़ना
देख रहे हो शहर में कितना सन्नाटा है
©words_of_heart_pa
बाहर भी अब अंदर जैसा सन्नाटा है
दरिया के उस पार भी गहरा सन्नाटा है
शोर थमे तो शायद सदियाँ बीत चुकी हैं
अब तक लेकिन सहमा सहमा सन्नाटा है
किस से बोलूँ ये तो इक सहरा है जहाँ पर
मैं हूँ या फिर गूँगा बहरा सन्नाटा है