मित्रों के साथ लौंडे कितना भी "लगा के तीन पेग बलिय
"मित्रों के साथ लौंडे कितना भी "लगा के तीन पेग बलिये" पर नाच करते हुए रौला झाड़ते हों, अकेले में तो RS और IB पीकर "चुपके-चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है" सुनते हुए बोतले ही तोड़नी है!
#दिल_ढूँढता_है"
मित्रों के साथ लौंडे कितना भी "लगा के तीन पेग बलिये" पर नाच करते हुए रौला झाड़ते हों, अकेले में तो RS और IB पीकर "चुपके-चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है" सुनते हुए बोतले ही तोड़नी है!
#दिल_ढूँढता_है