आदि काल से करती आ रही हूँ
मैं प्रेम की प्रतिक्षा
मेरी प्रतिक्षा में शामिल रही सदैव
निश्छल चाहत
काश़ कोई होता
जो मुझमें प्रेम खोजता
किन्तु दुर्भाग्य मेरा
न कोई खोज़ पाया मुझमें दबी प्रेम प्यास
न मैं खोज़ पायी
अपने मन के भीतर छिपा अथाह सागर
उडेलने के लिये प्रेम पात्र.🕊️🌿
©Manali Rohan
#manalirohan