जख्म फिर से उभर आया है।
तेरा चेहरा जो नज़र आया है।
रोशनी ही रोशनी है मेरे कमरे में
मानो जैसे चाँद धरती पर उतर आया है
तू एक जरा बैठ मेरे पास तो मुझे तस्सली हो
तू इसबार मेरा होने को इधर आया है।
तू मेरा हाथ थामे थोड़ी दूर तो चल
फिर लगेगा,हा, कोई रास्ता तो निकल आया है।
©Milan Vaibhav