Milan Vaibhav

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जख्म फिर से उभर आया है। तेरा चेहरा जो नज़र आया है। रोशनी ही रोशनी है मेरे कमरे में मानो जैसे चाँद धरती पर उतर आया है तू एक जरा बैठ मेरे पास तो मुझे तस्सली हो तू इसबार मेरा होने को इधर आया है। तू मेरा हाथ थामे थोड़ी दूर तो चल फिर लगेगा,हा, कोई रास्ता तो निकल आया है। ©Milan Vaibhav

 जख्म फिर से उभर आया है।
तेरा चेहरा जो नज़र आया है।

रोशनी ही रोशनी है मेरे कमरे में
मानो जैसे चाँद धरती पर उतर आया है

तू एक जरा बैठ मेरे पास तो मुझे तस्सली हो
तू इसबार मेरा होने को इधर आया है।

तू मेरा हाथ थामे थोड़ी दूर तो चल
फिर लगेगा,हा, कोई रास्ता तो निकल आया है।

©Milan Vaibhav

जख्म फिर से उभर आया है। तेरा चेहरा जो नज़र आया है। रोशनी ही रोशनी है मेरे कमरे में मानो जैसे चाँद धरती पर उतर आया है तू एक जरा बैठ मेरे पास तो मुझे तस्सली हो तू इसबार मेरा होने को इधर आया है। तू मेरा हाथ थामे थोड़ी दूर तो चल फिर लगेगा,हा, कोई रास्ता तो निकल आया है। ©Milan Vaibhav

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छोडो मेहँदी खडक संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाये बैठे शकुनि, मस्तक सब बिक जायेंगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे| कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से, कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों से| स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं वे क्या लाज बचायेंगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आयंगे| कल तक केवल अँधा राजा, अब गूंगा बहरा भी है होठ सी दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है| तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे, किसको क्या समझायेंगे? सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयंगे| -पुष्यमित्र उपाध्याय ©Milan Vaibhav

#JusticeForNikitaTomar  छोडो मेहँदी खडक संभालो

खुद ही अपना चीर बचा लो

द्यूत बिछाये बैठे शकुनि,

मस्तक सब बिक जायेंगे

सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे|


कब तक आस लगाओगी तुम,

बिक़े हुए अखबारों से,

कैसी रक्षा मांग रही हो

दुशासन दरबारों से|


स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं

वे क्या लाज बचायेंगे

सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आयंगे|


कल तक केवल अँधा राजा,

अब गूंगा बहरा भी है

होठ सी दिए हैं जनता के,

कानों पर पहरा भी है|


तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे,

किसको क्या समझायेंगे?

सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयंगे|
-पुष्यमित्र उपाध्याय

©Milan Vaibhav

आईने में जब खुद को देखता हूँ। तेरे दीवाने को बदला बदला सा देखता हूँ। ©Milan Vaibhav

 आईने में जब खुद को देखता हूँ।
तेरे दीवाने को बदला बदला सा देखता हूँ।

©Milan Vaibhav

आईने में जब खुद को देखता हूँ। तेरे दीवाने को बदला बदला सा देखता हूँ। ©Milan Vaibhav

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#अधूरे_ख्वाब

कत्ल होने की आस में चुप चाप बैठा था वो आये, सीने में खंजर उतार कर चले गए। ~ वैभव ©Milan Vaibhav

#steps  कत्ल होने की आस में चुप चाप बैठा था
वो आये, सीने में खंजर उतार कर चले गए।
~ वैभव

©Milan Vaibhav

#steps

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आज लौट कर घर जाता तो जाता कैसे ? तेरे जाने से रूठे घर को मनाता कैसे ? ~ वैभव ©Milan Vaibhav

 आज लौट कर घर जाता तो जाता कैसे ?
तेरे जाने से रूठे घर को मनाता कैसे ?
~ वैभव

©Milan Vaibhav

आज लौट कर घर जाता तो जाता कैसे ? तेरे जाने से रूठे घर को मनाता कैसे ? ~ वैभव ©Milan Vaibhav

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