बहुत सोचा समझा पर ज़वाब कोई मिला नही
नींद से जागा तो यहाँ असल ख्वाब कोई मिला नही
मैं चमेली ही ले आया तुम्हारे ख़ातिर
बहुत ढूँढा पर गुलाब कोई मिला नही
बहुत से सहर घुम कर देखें हैं मैंने
पर दिली सा खराब नहीं मिला कोई
मैं जुर्म का इल्जाम लगा देता किसी पे
मगर यहाँ इंसान गरीब नही मिला कोई
तुमने आज अपनी बहो में भरा तो पता लगा
तुम्हारे जितना मुझसे करीब नही मिला कोई
सुना था तुम तक आने के रास्ते कई सारे हैं
तुम्हारे घर आया पर वहाँ बाब नही मिला कोई
©Abhishek Singh
# बाब नहीं मिला कोई