White कभी कभी जो तिरे क़ुर्ब में गुज़ारे थे
अब उन दिनों का तसव्वुर भी मेरे पास नहीं
गुज़र रहे हैं अजब मरहलों से दीदा-ओ-दिल
सहर की आस तो है ज़िंदगी की आस नहीं
मुझे ये डर है तिरी आरज़ू न मिट जाए
बहुत दिनों से तबीअ'त मिरी उदास नहीं
नासिर काज़मी
©Rajneesh Kumar
#love_shayari