White कभी कभी जो तिरे क़ुर्ब में गुज़ारे | हिंदी Shayari Video

"White कभी कभी जो तिरे क़ुर्ब में गुज़ारे थे अब उन दिनों का तसव्वुर भी मेरे पास नहीं गुज़र रहे हैं अजब मरहलों से दीदा-ओ-दिल सहर की आस तो है ज़िंदगी की आस नहीं मुझे ये डर है तिरी आरज़ू न मिट जाए बहुत दिनों से तबीअ'त मिरी उदास नहीं नासिर काज़मी ©Rajneesh Kumar "

White कभी कभी जो तिरे क़ुर्ब में गुज़ारे थे अब उन दिनों का तसव्वुर भी मेरे पास नहीं गुज़र रहे हैं अजब मरहलों से दीदा-ओ-दिल सहर की आस तो है ज़िंदगी की आस नहीं मुझे ये डर है तिरी आरज़ू न मिट जाए बहुत दिनों से तबीअ'त मिरी उदास नहीं नासिर काज़मी ©Rajneesh Kumar

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