हंसती आंखें दिल रोता है,
अपना चाहा कब होता है,
गाने वाला रो दे अक़्सर,
पाने वाला ही खोता है,
राम नाम रटने वाला भी,
फंसा जाल में ज्युं तोता है,
रोज़ नहाये गंगा जल से,
मन का मैल नहीं धोता है,
पछताने से क्या होगा जब,
बीज दुखों का ख़ुद बोता है,
रात में करता है रखवाली,
श्वान दिवस में ही सोता है,
ज्ञान बिना दुनिया में गुंजन,
भंवर बीच खाता गोता है,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
©Shashi Bhushan Mishra
#अपना चाहा कब होता है#